27 बरस बाद महाराष्ट्र में महार दलित और हिन्दुवादी ताकतों के बीच जातीय संघर्ष का नया चेहरा ऐसा उभरा जिसने जाति और धर्म की नई लकीर ही कुछ इस तरह बना दी, जिसके अक्स में हर कोई अपनी-अपनी व्यख्या करने लगा. तो क्या सियासत अगड़े-पिछड़ों और जाति-धर्म का खेल-खेल रही है. और विकास की सियासी पगडंडी दुबारा मंडल-कमंडल के रास्ते चल पड़ी है.