जिस दिन हमने स्वाधीनता हासिल कर ली थी, उसी दिन हमने तय किया था कि हम भीड़ नहीं नागरिक हैं. इसी विचार पर हमने संविधान बनाया. उस संविधान ने हर नागरिक को बराबरी की गारंटी दी. न्याय की गारंटी दी. लेकिन जब भीड़ किसी को सरेआम मार डालती है. पुलिस पीड़ित को ही बंद कर देती है और फिर हत्यारों को छोड़ देती है तो लोकतंत्र कहता है ये व्यवस्था भीड़ ही तो है.