नौकरशाही के यह तीन चेहरे किसी सत्ता को बर्दाशत नहीं है. उस सत्ता को भी नहीं जिसने विपक्ष में रहते हुए सत्ता के लिए इन्हीं ईमानदार नौकरशाही की एक वक्त पीठ ठोंगी. लेकिन सत्ता में आये तो यही नौकरशाह बर्दाश्त से बाहर हो गए. खेमका फिर वही पहुंचा दिए गए. जहां से निकाल कर इन्हें ईमानदारी का तमगा दिया गया था.