साल 2005 में सूचना का अधिकार कानून लागू हुआ था और तब माना यही गया कि आम आदमी के पास अब ऐसा हथियार आ गया है, जिससे शासन-प्रशासन के भीतर छिपे तमाम राज सामने आएंगे, एक पारदर्शी व्यवस्था बनेगी. लेकिन अगर 13 साल बाद ये कहा जाए कि सवाल पूछना मना है, तो आप क्या कहेंगे, '10 तक' में देखिए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.