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10 तक में देखिए जनादेश के इंतजार में फंसी सियासत

10 तक में देखिए जनादेश के इंतजार में फंसी सियासत

11 मार्च को सिर्फ पांच राज्यो का जनादेश नहीं आयेगा. बल्कि भारत की राजनीति में ऐसी उथल-पुथल की शुरुआत होगी, जिसके साये में राष्ट्रीय राजनीति का या तो परचम लहरायेगा या फिर विकल्प की राजनीति की मुनादी होगी. क्योंकि तीन बरस पहले जिस सियासी घोड़े पर मोदी-अमित शाह सवार हुये उसे यूपी ब्रेक लगा सकती है. जिस यूपी के आसरे अखिलेश और राहुल दोनों ने साथ आकर सबसे बड़ा दांव खेला. वह सबसे खतरनाक जुआ साबित हो सकता है. मायावती के राजनीतिक भविष्य का फैसला हो सकता है. केजरीवाल का दांव या तो विकल्प की राजनीति को दिशा दे सकता है या फिर दिल्ली में ही दफन हो सकता है.

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