किसने सोचा था कि अहिंसा का जज्बा आज भी जिंदा है. मगर अन्ना हजारे ने यह साबित कर दिया है. जी हां 74 साल के इस बुजुर्ग ने साबित कर दिया है कि अहिंसा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. सत्याग्रह आज भी उतनी प्रासंगिक हैं हालांकि जो लोग उसके निशाने पर थे सत्याग्रह उन्हीं का तो हथियार हुआ करता था.