अंधेरा चाहे कितना भी पुराना हो मशाल जब जलेगी उसे भागना ही होगा. अन्ना के आंदोलन ने 42 साल से अटके लोकपाल बिल को पटरी पर लाकर ये साबित कर दिया है. लेकिन इस आंदोलन ने लोकतंत्र में आम आदमी की ताकत को ही साबित नहीं किया है इस आंदोलन में छिपे हैं कई सबक. सियासी पार्टियों से लेकर आम आदमी तक को इससे सबक लेना चाहिए.