राष्ट्रपति के लिए प्रणब दा का नाम आते ही नाक-भौं बनाने वाली ममता बनर्जी के तेवर ही बदल गए हैं. ममता अब सियासी मजबूरी की भाषा बोल रही हैं. कभी प्रणब की उम्मीदवारी के खिलाफ रहीं ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि अब वो प्रणब के साथ हैं. यानी मजबूरी ही सही लेकिन प्रणब पर ममता को ममता दिखानी ही पड़ी.