कब तक सीने पर गोली खाती रहेगी मुंबई, कब तक दिल में दर्द, आंखों में आंसू लेकर मुस्कुराती रहेगी मुंबई, कब तक मुंबई देगी अग्निपरीक्षा. क्या इस बार मुंबई के गुनहगारों का होगा हिसाब. क्या इस बार सूकून की सांस ले पाएगी मुंबई या फिर कागजी कार्रवाई, और जुबानी मरहम से ही संतोष करना पड़ेगा सपनों के इस शहर को. पूछता है आजतक. मुंबई सहेगी कब तक?