क्या शहीदों की कोई जाति होती है? क्या वीरों का कोई मजहब होता है? क्या देश के दुश्मनों को मारने वाले कातिल कहलाएंगे? इस सवाल पर आज सुबह से राजधानी के सत्ता गलियारों में बहस छिड़ी हुई है. बहस इसलिए क्योंकि कांग्रेस के मुखपत्र में कुछ ऐसा ही छपा है, जो शहीदों का अपमान है.