तीन साल पहले जब सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ ली थी तो लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं. पर गुजरते वक्त के साथ उम्मीदें धूमिल हो गयीं. सरकार एक-दो नहीं कई मोर्चों पर एक साथ नाकाम दिखी. हालत ये है कि सरकार के अंदर और बाहर दोनों ओर सरकार बेहद पस्त-पस्त सी दिख रही है.