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कब खुलेगा महंगाई के इतिहास का तहखाना! 8 साल कब सबसे बड़ी गरीबी के सच पर दस्तक

कब खुलेगा महंगाई के इतिहास का तहखाना! 8 साल कब सबसे बड़ी गरीबी के सच पर दस्तक

विश्व धर्म संसद के मंच से स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत को धर्म नहीं रोटी चाहिए. लेकिन आज की स्थिति ये है कि रोटी से ज्यादा धर्म की चिंता में डूबे हुए मुद्दे हैं. किसी को ताजमहल में बंद 22 दरवाजे खुलवाने हैं. किसी को मुस्लिम बस्ती में चलता बुलडोजर रोकना है. किसी को ऐतिहासिक मंदिरों के पास सटी मस्जिदों का सर्वे कराना है, तहखाना खुलवाना है किसी को मुस्लिम बच्चियों की शिक्षा को रोकना है. तब आज आप दस्तक देकर कहिए कि एक तहखाना महंगाई से मुक्ति दिलाने वाला भी खुलना चाहिए. बंद दरवाजे मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा से दूर करने वाले भी खुलने चाहिए. अतिक्रमण करके बुलडोजर को धर्म के नाम पर रोकने वालों की राजनीति के दरवाजे बंद होने चाहिए. पूजा सिंघल जैसे सभी भ्रष्टाचारी अधिकारियों के करप्शन के तहखाने भी खुलने चाहिए. इसकी लड़ाई कोई पार्टी नहीं, आपको लड़नी है. दस्तक दीजिए, आवाज उठाइए. इतिहास खंगालते वर्तमान में महंगाई की बात सबसे पहले जो आठ साल का इतिहास बनाकर आई है.

Today's situation is that there are more issues immersed in the concern of religion than bread. Somebody has to open the 22 closed doors in the Taj Mahal. Somebody has to stop the bulldozers from running in the Muslim settlement. Somebody has to conduct a survey of the mosques adjacent to the historical temples, someone has to get the basement opened, and someone has to stop the education of Muslim girls. Watch Dastak

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