भविष्य के टारगेट के लिये जनसंघ के दौर की सियासी सोच या आजादी से पहले के लीडरान ना संघ परिवार को मंजूर है ना ही बीजेपी को. और चूंकि बीजेपी में हर निर्णय पर आखरी फैसला संसदीय बोर्ड ही लेता है तो अब अतीत के अनुभव की नहीं बल्कि टारगेट पूरा करने वाले टास्क फोर्स की जरुरत है.