जिस तरह से एक एक करके मंत्रियों के नाम घोटलों और फर्जी डिग्रियोें में आ रहे हैं ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या लोकतंत्र वाकई कमजोर हो गया है.