संघ के मंच से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पढ़ाया धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का पाठ बोले-मैं यहां राष्ट्रवाद, देशभक्ति और भारत की अवधारणा साझा करने आया हूं. देशभक्ति देश के लिए समर्पण का नाम.