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देश में हर ओर टूटते सपनों का कारोबार

देश में हर ओर टूटते सपनों का कारोबार

देश में नेता को अगर सत्ता न मिले तो कहा जाता है कि सपने टूट गए. लेकिन यही सपने जब आम आदमी के टूटते हैं तो बात आत्महत्या तक चली जाती है. इंसान नेता बनता है तो लोगों से मिलता है, सांसद बनता है तो वादे करता है, लेकिन चुनाव के बाद शायद ही वादों की सुध ली जाती है. यानी सपना यहां भी टूटता है.

dastak: from delhi to bihar its time for broken dreams

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