ये देश एक गुलदस्ता है. हमारे अरमानों, उम्मीदों, कामयाबियों और नाकामियों का गुलदस्ता. हम सब मानते हैं कि ये देश है हमारा. जेएनयू के छात्र भी, लेकिन जब अचानक से हॉस्टल की फीस हजारों रुपए बढ़ा दी गई तो उन्होंने वीसी से कहा मत कीजिए, हम पढ़ नहीं पाएंगे. कोई सुनवाई नहीं हुई. नतीजा, वो संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सड़कों पर उतर आए. इसके बाद क्या हुआ 10 तक में देखिए.