देश की सुरक्षा के लिये तैनात जवानों का सच उभरना तो नहीं चाहिये था, लेकिन उभर कर सामने आ गया. अर्द्धसैनिक बलों को सुविधाओं के सवाल इस तरह उठाने तो नहीं चाहिये थे, लेकिन उठ गए. जवानो के परिवारों के जरीये जवानों को भावनात्माक तौर पर कमजोर दिखाना तो नहीं चाहिये था, लेकिन दिखाया गया. और मीडिया को भी जवानों की मुश्किलों को लेकर देश की राजनीति के सामानांतर कोई लकीर खिंचनी तो नहीं चाहिये थी, लेकिन खिची जा रही है. तो आपके जहन में इसे लेकर कई सवाल उठ रहे होंगे. देखिये उन्हीं सवालों पर आज का दस्तक...