'दस्तक' में बात सवालों की. ऐसे सवालों की जिसको लेकर जेहन में ऐसे सवाल उठ सकते हैं कि क्या वाकई इस दौर में संभलने का वक्त है. मसला आतंकवाद का, नक्सलवाद का, राष्ट्रवाद का और भ्रष्टाचार का भी, लेकिन संभले कौन और संभाले कौन. 'दस्तक' में बात आतंक पर बंटी दुनिया में कमजोर यूएन की भी और मातम पसरे कोलकाता की भी.