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10 तक: मित्रों इस देश का क्या होगा?

10 तक: मित्रों इस देश का क्या होगा?

नोटबंदी को लेकर राजनीति तेज हो गई है. अब कई सवाल भी उठ रहे हैं. क्या मोदी ने राजनीतिक सत्ता की जड़ों पर ही जनता के गुस्से के भरोसे हमला बोल दिया? क्या मोदी पारंपरिक तौर पर काम कर अपने टर्म को पूरा करना नहीं चाहते थे? या फिर, क्या संसदीय प्रणाली ही भ्रष्ट हो चुकी है और बदलने के लिये पूंजी पर चोट ही जरूरी है? देखिए इसी मुद्दे पर खास पेशकश. 

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