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संसद पर भारी क्यों पड़ जाता है 'बाजार'

संसद पर भारी क्यों पड़ जाता है 'बाजार'

एक बाजार ऐसा है, जिसमें हर कोई हर स्थिति में बिकने और बेचने को तैयार हो जाता है. मसला चाहे इंटरनेट का हो या दाल-रोटी का हो, चाहे सियासत का हो या कुछ और. राज्यसभा चुनाव से पहले बाजार का मसला क्यों आ जाता है.

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