दस्तक में बात सियासत की, समाज की और आर्थिक मुद्दों की. इसके साथ ही बात इसकी कि क्या तकनीकि माध्यमों का गुलाम बन रहा है लोकतंत्र. बात बुंदेलखंड की भी होगी जहां आजादी के 68 बरस बाद भी जमीन भी पीने का पानी नहीं देती.