जिनकी हत्या हो गई उन्होंने जोखिम की जिंदगी को ही चुना या फिर हमें कत्ल की आदत होती जा रही है. चार साल बाद भी नरेंद्र दामोलकर के हत्यारे फरार हैं और दो वर्ष पहले गोविंद पंसारे की हत्या के आरोपी समीर गायकवाड़ को जमानत मिल चुकी है. कलबुर्गी की हत्या को दो साल हो चुके हैं लेकिन हत्यारों तक कानून नहीं पहुंचा है.