जिस मुनाफे के तंत्र को विकसित अर्थव्यवस्था का पैमाना मनमोहन सिंह ने माना, वही पहली बार गर्त में जा रहा है क्योकि शेयर बाजार से लेकर रुपये को मजबूत करने के लिये विदेशी निवेश पर ही भरोसा किया गया और मौजूदा वक्त में विदेशी निवेश ही नहीं आ रहा है, क्योकि मुनाफा देने की स्थिति में ना तो शेयर बाजार है और ना ही शेयर बाजार पर टिके कारपोरेट या इंडस्ट्री और विदेशी निवेश का पहला मंत्र ही तुरंत मुनाफा कमाना होता है.