केंद्र सरकार के कृषि सुदार कानून बीते 2 महीने से लगातार जारी हैं. किसान आंदोलन की 2 तारीखें अब लोगों की जेहन में रहने वाली हैं. ये वो तारीख हैं, जिन पर किसान आंदोलन की दिशा और दशा तय होनी लगी. पहली बार 26 जनवरी को जब किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली और लाल किले पर देश को शर्मसार करने वाली घटना हुई, वहीं दूसरी घटना तब 28 जनवरी को राकेश टिकैत रो पड़े. एक बार को लगा कि किसी ने 26 जनवरी के बाद बंटे हुए किसान संगठनों को एक बार फिर नई ऊर्जा दे दी है. तो क्या ये घटनाएं किसान आंदोलन की दशा और दिशा सच में तय कर रही हैं, या पड़ावभर हैं, देखें बेहद खास कार्यक्रम, श्वेता सिंह के साथ.