जहां एक तरफ गांधी परिवार के परिवारवाद पर सवाल उठाया जाता है. दूसरी तरफ कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार की पार्टी के साथ गठबंधन किया जाता है. एक तरफ पवार परिवार को कठघरे में खड़ा किया है. दूसरी तरफ उन्हीं पवार के भतीजे की पार्टी के साथ सीट शेयर की जाती है. राजनीति में सत्ता सुरक्षा वाले बीमा के लिए ही क्या परिवार के साथ भी और परिवार के खिलाफ वाली नीति अपनाई जाती है?