मार्च 2001 में तालिबान के बामियान में बुद्द की 140 फीट उंची मूर्ति पर निशाना बनाया था और बारह बरस बाद 7 जुलाई 2013 में बोधगया में 80 फीट उंची बुद्द की मूर्त्ति को निशाने पर लिया गया. क्या बोधगया के आंतकी विस्फोट को बामियान से जोडकर देखा जा सकता है? क्या बोध गया में घमाके सिर्फ अंतराष्ट्रीय मंच तक संकेत देने के लिये किये गये? क्या आंतक का नया चेहरा भारत की सम्यता-संस्कृति से टकरा रहा है?