एक दौर था जब लालू की रैलियों में लाखों की भीड़ जुटती थी. अगर आप इससे सहमत नहीं हो तो ये भी कह सकते हैं कि जुटाई जाती थी लेकिन इस चुनाव में तस्वीर बदली-बदली सी है.