जिस लोकपाल विधेयक पर सहमति बनाने में देश को 45 बरस लग गये, उसकी सियासी जमीन इतनी पोपली होगी यह किसी ने सोचा ना होगा. लोकपाल विधेयक पर दो बरस पहले ही जब सड़क से जनलोकपाल को लेकर जनता की आंधी उठी तो संसद के पाये भी थर्राये और उसे जनता के आक्रोष के सामने नतमस्तक होना पड़ा.