माओ ने कहा था- राजनीतिक सत्ता बंदूक की नली से निकलती है. लेकिन ये चीन नहीं है, ये महात्मा गांधी का भारत है. ये लोकतांत्रिक देश भारत है, जहां जनता का वोट प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक का चुनाव करता है, लेकिन फिर उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र को बदनाम करने वाली चुनावी हिंसा आज क्यों हुई? 8 महीने बाद विधानसभा चुनावों के लिए तैयार उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में आज ब्लॉक प्रमुख के इलेक्शन की नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई. जिसमें 15 से ज्यादा जिलों में गोली चलने, बम चलने, मारपीट होने, अपहरण की कोशिश करने, विरोधी के नामांकन पर्चे को छीनने, पत्रकारों पर हमले की हिंसक घटनाएं सामने आई हैं. आरोप है पुलिस ज्यादातर जगहों पर कार्रवाई कम करती दिखी, मूकदर्शक बनी अधिक नजर आई. चुनाव में हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा मिलना, जनता के लोकतंत्र पर भरोसे को कमजोर करता है. इस पर देखें दस्तक.
With the Uttar Pradesh Block Pramukh Elections scheduled for this weekend, widespread violence was reported from several districts, including Siddharthnagar, Sitapur, Gorakhpur, Sambhal during the filing of nomination of papers. As per reports, most of the incidents occurred when the opposition candidates were prevented from filing their nomination papers.