नागरिकता कानून (Citizenship act) पर सियासत और समाज में जारी संग्राम से बवाल मचा हुआ है लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कहानी दूसरी है. नागरिकता कानून के विरोध ने यूपी को एफआईआर (FIR) प्रदेश में बदल दिया है. महिलाओं पर इतने एकमुश्त मुकदमे तो कभी नहीं हुए. एक तरफ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी अड़े हुए हैं और तीसरी तरफ गृह मंत्री को विपक्ष की चुनौती कि कानून तो वापस नहीं होगा चाहे बहस कर लें. विपक्षी दलों ने उनकी चुनौती को गंभीरता से ले लिया. कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) से लेकर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin owaisi), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और मायावती (Mayawati) तक पूछ रहे हैं कि बताइए कब बहस करनी है. अब अमित शाह (Amit Shah) न समय बता रहे हैं न जगह. 10 तक में देखें नागरिकता कानून पर संग्राम कहां तक पहुंचा.