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10 तक: शहर...शहर...कब तक बनते रहेंगे हाथरस?

10 तक: शहर...शहर...कब तक बनते रहेंगे हाथरस?

बस शहर के नाम बदल जाते हैं लेकिन बेटियों से दरिंदगी की दास्तां नहीं बदलती. बेटियों की आरजू, आबरू और जिंदगी यूं ही हवस और हैवानियत का शिकार हो रही हैं. हाथरस की बेटी के लिए इंसाफ की आवाज दसों दिशाओं से उठी. लेकिन जिसे गैंगरेप का मामला बताया गया और जिसके कारण हाथरस की निर्भया ने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया, उस अस्पताल से आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप के आरोप ने भी दम तोड़ दिया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार का कोई जिक्र नहीं है.

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