यह नामाकंन के दिन की मुनादी है. शक्ति प्रदर्शन की ऐसी मुनादी जिसकी पीठ पर सवार होकर बनारस को महाभारत देखना है. हिस्सा बनना है. फैसला भी सुनाना है. ठीक 18 दिन बाद बनारस में वोटिंग है और इन्हीं 18 दिनो में तय होना है कि मोदी को राजनीतिक तौर पर सियासी समीकरणो में बंटा वोटर गुजरात के बाहर स्वीकार करने को तैयार है या नहीं.