एक कहावत सुनी होगी आपने- चौबे गए थे छब्बे बनने, दूबे बनकर लौटे. रामदेव भ्रष्टाचार और काले धन पर सरकार से लड़ाने लड़ने गए थे लेकिन 9 दिन में हालत ये हुई कि सरकार ने उनसे अनशन तोड़ने की भी अपील नहीं की और सत्याग्रह फुस्स हो गया. बाबा के पास अनशन तोड़ने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा.