एक बार जब भगवान कृष्ण को मथुरा छोड़ जाना पड़ा द्वारका, तो गोपियों की सूख गई जान। उनका दुख बलराम से नहीं देखा गया और उन्होंने धर लिया कृष्ण का रुप और रचाया गोपियों संग रास.