एक श्राप के कारण गोवर्धन की पूजा होने लगी. गोवर्धन महज़ एक पर्वत नहीं, वो अन्नदाता है, पालनकर्ता है, कान्हा ने ऐसा कहकर गोवर्धन का मान तो बढ़ा दिया, लेकिन इस बात ने देवराज इंद्र और लीलाधर को कर दिया आमने-सामने.