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पांडवों की जान भी पड़ी थी खतरे में

पांडवों की जान भी पड़ी थी खतरे में

कहते हैं ताकत, साहस और वीरता में  पांडवों का कोई मुकाबला नहीं था. पांचों पांडवों के आगे बड़े बड़े योद्धा हार मान जाते थे, सिर झुका लेते थे  लेकिन एक बार इन्हीं पांडवों का जीवन पड़ गया  खतरे में.  फिर कैसे बची पांडवों की जान. भरतपुर के कामां में और दर्शन करते हैं पवित्र यक्षकुंड के, जो कहता है कहानी युधिष्ठिर के विद्वता की और पांडवों के प्राण वापस लौटने की.

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