गुजरात की ऊंची पहाड़ी पर बसा पावागढ़ शक्तिपीठ जहां मां की कोई प्रतिमा नहीं बल्कि अपने दो नेत्रों से मां भक्तों के जीवन में फैला देती हैं उम्मीदों की रौशनी. जहां क्या आम और क्या खास मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं. कहते हैं पावागढ़ वही स्थान है जहां विश्वामित्र ने मां काली की कठोर तपस्या कर ब्रह्मर्षि होने का वरदान पाया था.