जिसे कान्हा के सिवा कोई दूसरा न सूझता हो वो मीराबाई के अलावा कोई दूसरा कहां हो सकता है. मीरा जो कान्हा के रंग में ऐसी रमीं कि महलों का सुख त्याग जोगन बन गई  लेकिन भक्त और भगवान के इस प्रेम की राह आसान नहीं थी.