महाकुंभ में स्नान और पूजा-अर्चना का अलग ही महत्व है. लेकिन असल मायनों में यहां आने वाले फक्कड़ संन्यासी ही इसकी शोभा बढ़ाते हैं. ये साधु-संन्यासी जप-तप के जितने पक्के होते हैं, इन पर चढ़ा भक्ति का रंग भी उतना ही पक्का होता है. दुनिया से बेफिक्र ये तो बस निराले अंदाज में भक्तों को नित नई लीला दिखाते हैं.