महादेव के आगे सभी झुकाते हैं सिर, उनके आशीर्वाद की सभी को रहती है कामना, लेकिन उन्हीं महादेव को एक बार बनना पड़ा पहरेदार. जिम्मेदारी थी चित्रकूट की रक्षा की और मौका था सृष्टि की रचना के लिए किए जाने वाले यज्ञ का.