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यशोमती बन गईं कान्हां की माता

यशोमती बन गईं कान्हां की माता

नंदनगरी में आया उत्सव का दिन. घटाएं घुमड़ उठीं. भींग गई भूमि. नंद के घर आनंद के रंग बरसने लगे. खिल उठे फूल. पशु मगन होकर झूम उठे और पक्षी गीत गाने लगे. मानो समूची प्रकृति नंद के आंगन में उतर आई हो.

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