जर्मनी के लिए जासूसी करने वाली माता हारी की पेरिस के फैशनेबल क्लबों में ही जान पहचान फ्रांस, जर्मनी और हॉलैंड के बड़े-बड़े फौजी अफसरों, नेताओं और मंत्रियों से हुईं. माताहारी पर डबल एजेंट होने का आरोप लगा. अंतत: फ्रांस में उसे मौत की सजा सुना दी गई.