सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों के सेना में स्थाई कमिशन को लेकर बड़ा फैसला दिया है. केंद्र सरकार के विरोध को खारिज करते हुए कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा. 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट से लड़ाई जीतने के बावजूद महिला अधिकारियों को सरकार के बेपरवाह रवैये के चलते अपना हक नहीं मिला. इसके बाद महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवादी प्रक्रिया है. कोर्ट ने 26 जनवरी को परेड लीड करने वाली कैप्टन तान्या शेरगिल का भी उदाहरण दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी नागरिकों को अवसर की समानता, लैंगिक न्याय सेना में महिलाओं की भागीदारी का मार्गदर्शन करेगा. महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. सेना में सच्ची समानता लानी होगी. 30 फीसदी महिलाएं वास्तव में लड़ाकू क्षेत्रों में तैनात हैं.