यूपी में चुनावी लड़ाई पेचीदा क्या हुई नेताओं की जुबान ने लड़खड़ाना शुरु कर दिया. मुद्दों पर वार होने की बजाय निजी हमले होने लगे. कोई किसी को रावण कह रहा है तो कोई किसी की मर जाने की बात कर रहा है. आखिर यूपी की राजनीतिक पार्टियां ये सब क्यों कर रही हैं. क्या ये असली मुद्दों से ध्यान हटाने की कोई सोची-समझी कोशिश है?वैसे बदजुबानी एक ही खेमे से नहीं हो रही. इधर आजम खान हैं तो उधर विनय कटियार जैसे बयानवीर भी हैं. प्रियंका गांधी पर उनकी एक अप्रिय टिप्पणी से बेवजह चुनावी माहौल बिगड़ा.