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हल्ला बोल: गद्दार पत्थर मारें और सेना बंदूक भी ना ताने?

हल्ला बोल: गद्दार पत्थर मारें और सेना बंदूक भी ना ताने?

जम्मू कश्मीर में सेना और सैनिक उस दौर से गुजर रहे हैं, जहां एक तरफ आतंकी की गोली दुश्मन बनी बैठी है तो दूसरी तरफ सियासत की बोली उनसे हिसाब बराबर कर रही है. शोपियां में आत्मरक्षा में सेना की गोलीबारी को लेकर महबूबा सरकार ने बदले में मुकदमा ठोका तो जवाब में सेना ने भी एफआईआर की फायरिंग कर दी. सेना ने साफ कर दिया कि जिन हालात में सेना फंस चुकी थी उस माहौल में जान बचाने के लिए बंदूक तानना आखिरी रास्ता था. सवाल .ये उठता है कि दुश्मनों का काम तमांम करने वाली सेना के देश में ही दुश्मन पैदा हो गए हैं और क्या फर्ज के रास्ते पर चलने वाली सेना को पग पग पर मुकदमों का सामना करना पड़ेगा. देखें पूरी रिपोर्ट...

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