वोट बैंक की राजनीति करने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर को याद करने का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है. नेताओं की जुबान पर अंबेडकर का नाम तो आता है लेकिन समाज को लेकर कोई चिंता दिखाई नहीं देती.