सांप्रदायिक हिंसा के नाम पर बहस का दूसरा दिन भी गिले-शिकवे और आरोप-प्रत्यारोप में बीत गया. देश ने सोचा हल निकलेगा, लेकिन सदन में जब माननीय बोल रहे थे तो ऐसा लग रहा था मानों एक-दूसरे को उकसाने का दौर चल रहा है.
halla bol: Instead of meaningful debate its political drama over communal violence