टीएमसी सांसद नुसरत जहां ने बड़े अदब और संस्कारों के साथ 25 जून को संसद में शपथ ली. लेकिन माथे पर सिंदूर और जुबां से निकले वंदे मातरम के बोल देवबंद के मौलाना को इतने खटके कि उन्होंने इसे गैरइस्लामिक बताते हुए फतवा जारी कर दिया है. सवाल है कि क्या किसी की निजी सोच और संस्कारों पर भी अब धर्म का पहरा रहेगा. हल्ला बोल में जानें क्या है इस मुद्दे पर पैनेलिस्ट्स की राय.