बिहार की राजनीति में दिलचस्प घटनाक्रम हो रहे हैं. लालू यादव की आरजेडी में बेचैनी दिख रही है .लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को पार्टी की बैठक बुला ली है, तो नीतीश कुमार चुप्पी की चादर लगातार ताने हुए हैं. क्या नीतीश की खामोशी कोई गुल खिलाने वाली है? नीतीश-लालू की ऐसी दोस्ती के बावजूद 48 घंटे से ज्यादा की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है. ये महज संयोग कैसे हो सकता है कि लालू परिवार ईडी-सीबीआई के शिकंजे में तड़प रहा हो और सत्ता के साथी नीतीश कुमार की जुबान खामोश हो जाए?